वर्ष 2025 में ईडी द्वारा मनी लांड्रिंग मामले में की जानेवाली यह पहली गिरफ्तारी है. ईडी ने प्रमोद सिंह को न्यायालय में पेश करते हुए यह जानकारी दी कि अभियुक्त को वर्ष 2008 में संविदा के आधार पर एनआरएचएम में नियुक्त किया गया था. उसे 17 हजार रुपये मानदेय मिलता था और धनबाद जिले के दो प्रखंडों में योजना से संबंधित दायित्व दिये गये थे. एनआरएचएम में उसे योजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान राशि आवंटित करने और उसका हिसाब रखने की जिम्मेदारी दी गयी थी.
हालांकि उसने अपने कार्य के दौरान 9.5 करोड़ रुपये की सरकारी राशि अपने करीबी लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया. बाद में संबंधित लोगों से राशि वापस ली और उससे संपत्ति अर्जित की. उसके ठिकानों पर छापेमारी के दौरान महंगी गाड़ियां मिली थी जिसे जब्त कर लिया गया था. एनआरएचएम के पैसों से पहले एक गाड़ी खरीद कर खुद इस्तेमाल करना शुरू किया. बाद में इसे अपनी पत्नी के नाम पर ट्रांसफर कर दिया. अब तक जांच के दौरान प्रमोद सिंह की 1.63 करोड़ रुपये संपत्ति जब्त की जा चुकी है. जब्त की गयी संपत्तियों मे धनबाद स्थित मकान, तीन गाड़ियां, जमीन और 2.17 लाख रुपये नकद शामिल है.
पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में ईडी द्वारा गिरफ्तार एनआरएचएम घोटाले के आरोपी प्रमोद सिंह को पेश किया गया. ईडी के विशेष लोक अभियोजक ने ईडी की ओर से पूछताछ के लिए सात दिनों के रिमांड की मांग की, लेकिन अदालत ने तीन दिनों की रिमांड पर लेने का आदेश दिया. प्रमोद सिंह को ईडी ने बुधवार को होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया है. संभवत: गुरुवार को ईडी उसे पूछताछ के लिए रिमांड पर लेगी.