New Delhi: वह अवैध थे, घुसपैठिये थे वह डंकी रूट से गए थे इसलिए डंकी की तरह वापस भेजे गए. भारत में लाखों बंगलादेशी और रोहिंगिया घुसपैठिये बेख़ौफ़ रह रहे हैं, सेकुलर पार्टियाँ इन घुसपैठियों के चरणरज को माथे पर लगा कर भावविभोर होती रहती हैं. अब यह सोच लेना कि अमेरिका भी घुसपैठियों को जामाता स्वरुप सम्मान देगा यह मुर्खता है.
कुछ लोग कल से नथुने फुला रहे हैं कि अमेरिका ने हथकड़ी लगाकर क्यों भेजा ? क्या कर रहे थे नरेन्द्र मोदी? कहाँ गया उनका 56 इंच का सीना ? क्या हो गया विश्व गुरु को ?
तो ऐसा है कि भगवान को धन्यवाद दो कि यह लोग अमेरिका से जीवित आ गए वरना अमेरिका के किसी जेल में सड़ रहे होते. जाकर अमेरिका का इमिग्रेशन लॉ पढ़ लें कि इनकी क्या दुर्दशा होती.
आपको घुसपैठ छोटी-सी बात लगती है क्योंकि आपकी पूरी राजनीति इन अवैध घुसपैठियों के वोट पर टिकी है. क्योंकि आपके लिए राष्ट्र प्रथम नहीं है. आप तो एक मुखिया का चुनाव जीतने के लिए घुसपैठियों का आधार कार्ड से लेकर वोटर कार्ड बनवाते हो. आपने लिए राष्ट्र प्रथम नहीं है मगर अमेरिका वालों के लिए अमेरिका फर्स्ट है. वैसे आपके जो बाइडेन चाचा ने भी कुछ नहीं बोला.
इन्होने क्या नरेन्द्र मोदी और सरकार से पूछ कर घुसपैठ किया था जो सरकार को कोस रहे हो ? जब डंकी रूट से अमेरिका में घुसे थे तो पालकी में बैठकर गए थे क्या जो आते वक़्त आपको एग्जीक्यूटिव ट्रीटमेंट मिलता ?
वीजा लेकर गए थे जो जीजा की तरह विदाई होती ?
अब एक बामपंथन तर्क दे रही थी कि देश में माहौल खराब होने के कारण इन लोगों को देश छोड़ कर जाना पड़ा.
सही तर्क है. अमेरिका ही क्यों गए? बगल में पाकिस्तान है नेपाल है, बांग्लादेश है म्यानमार है वहीँ चले जाते. बामपंथन जबाब नहीं दे पायी कि तुम क्यों नहीं गयी ? माहौल तो तुम्हारे लिए भी खराब ही है.
ऐसे ही तिलचट्टों के बच्चे क्रिमिनल बनते हैं क्यों कि इनकी मानसिकता है अपराध को संरक्षण देना. अगर इनका बच्चा चोरी करता हुआ पकड़ा जाए तो ये झट से कहेंगें चोरी ही तो किया है डाका तो नहीं डाला है ना.
इन लंपट सेकुलरों के अनुसार अमेरिका को इन्हें बतौर शाल गुलदस्ता मोमेंटो देकर विदा करना चाहिए था और पूरे यात्रा के दौरान विदाई संगीत बजनी चाहिए थी.
इस तर्क के अनुसार अगर कोई चोर इन लंपट सेकुलरों के घर में घुस आये तो यह लोग इन्हें पकड़ेंगें नहीं वल्कि आदर से बिठायेंगें, छप्पन प्रकार का भोजन खिलायेंगें फिर अगर ऐसा लगा तो अपनी गाड़ी में खुद ड्राइव कर उन्हें थाने ले जायेंगें और कहेंगें कि यह हमारे मेहमान हैं इन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ इनके परिवार के पास पहुँचा दिया जाए हम कोई केस मुकदमा नहीं करना चाहते.
तो ऐसा है ना बौद्धिक वर्णसंकरों 2009 में अमेरिका ने ऐसे ही 734 लोगों को हथकड़ी लगाकर भारत भेजा था, 2010 में 799, 2011 में 597, साल 2012 में 530 और 2013 में 515 लोगों को ऐसे ही हथकड़ी लगाकर भारत वापस भेजा था और सरकार भी तुम्हारी ही थी.