Veer Vats
Ranchi/Boakro: झारखंड में जमीन के खेल का स्तर इस बात से समझा जा सकता है कि यहां के मुख्यमंत्री को जमीन घोटाला में आरोपी बनाकर जेल भेज दिया जाता है (हालांकि उन्हें जमानत मिल गयी). रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन को जमीन घोटाले की वजह से ही करीब दो सालों से जेल की कालकोठरी में बंद रहना पड़ रहा है. जाने-माने रियल स्टेट के कारोबारी विष्णु अग्रवाल जेल की वनवास काट चुके हैं. ऐसे ही ना जाने कितने ही और मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन ना तो यहां की सरकार और ना ही लोकल प्रशासन इन सब बातों से सबक लेने की कोशिश कर रहा है. एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है, जिससे साफ पता चलता है कि कैसे अगर सराकारी कुछ नुमायनदे आपकी जेब में हैं तो आप पहाड़ तक काट कर, उसे समतल कर आसानी से उसे बेच सकते हैं और करोड़ों रुपए बना सकता है. मामला बोकारो का है.
पहाड़ काटकर समतल हो चुका, तब खुली सीओ साहेब की नींद
महीनों से बोकारो के सिजुआ स्थित पहाड़ को काटा जा रहा था. उसे समतल बनाकर उसका सौदा किया जा रहा था. लेकिन अंचल कार्यालय और लोकल पुलिस सोयी हुई थी. अब जाकर बोकारो प्रशासन की नींद खुली है. चास अंचल अधिकारी दिवाकर दुबे के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक ने बालीडीह थाना में आवेदन देकर सिजुआ पहाड़ की अवैध खुदाई और मिट्टी तस्करी में लिप्त भू-माफियाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है. आवेदन में आरोप लगाया गया है कि मधुसूदन सिंह नामक व्यक्ति ने जंगल और पहाड़ की बीस एकड़ भूमि को समतल कर दिया. बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में सरकारी और आदिवासी जमीन कब्जा करने का खेल कई सालों से चल रहा है. सिजुआ पहाड़, जो कभी क्षेत्र की पहचान था, अब पूरी तरह समतल हो चुका है. हजारों ट्रैक्टर मिट्टी की तस्करी कर उसे रेलवे क्षेत्र में गिराया गया. (इस काम से भी लाखों की कमायी हुई) सारा मामला लंबे समय से प्रशासनिक संरक्षण में जारी था. लेकिन अंचल कार्यालय और ना ही पुलिस ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. नतीजतन, पहाड़ का अस्तित्व समाप्त हो गया और वहां अब अवैध रूप से मकान बनाए जा रहे हैं. अब जब मामला प्रकाश में आया है, तो प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है. चास अंचल अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिस और प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेगा या फिर यह भी दबा दिया जाएगा? क्षेत्र के जागरूक नागरिकों ने उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
अंचल, पुलिस ही नहीं बल्कि बिजली लिभाग का भी साथ
चास अंचल अधिकारी के निर्देश पर अंचल निरीक्षक ने सिजुआ निवासी मधुसूदन सिंह को मुख्य आरोपी बनाया है. आरोप है कि उसने सरकारी जमीन पर कब्जा जमाने का प्रयास किया. स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के कारण यह अवैध गतिविधि निर्बाध रूप से चलती रही. इतना ही नहीं, बिजली विभाग ने भी इस अवैध बसावट को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ा. अवैध रूप से विकसित हो रहे इस क्षेत्र में बिजली कनेक्शन देने के लिए खंभे तक गिरा दिए गए हैं. इससे स्पष्ट होता है कि पूरे मामले में स्थानीय प्रशासन, पुलिस, भू-माफिया और सफेदपोश लोगों का गठजोड़ सक्रिय है.