हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पेंशन राशि न लौटाने का मामला
Ranchi: अवमानना के एक मामले में झारखंड हाईकोर्ट शुक्रवार को रात में बैठा. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह कोर्ट में पेश हुए. कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई. इसके बाद अपर मुख्य सचिव ने कोर्ट से माफी भी मांगी. आदेश का अनुपालन होने के बाद कोर्ट ने पर्सनल बॉन्ड भरने की शर्त पर मामला रद्द कर दिया. हजारीबाग के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. दीनानाथ पांडेय ने हाईकोर्ट में यह अवमानना याचिका दाखिल की थी. इसमें कहा गया था कि स्वास्थ्य विभाग ने उनकी पेंशन की 20 फीसदी राशि काट ली. हाईकोर्ट ने इस राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश का पालन नहीं किया गया. इस मामले में 31 जनवरी को कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को 7 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया था. शुक्रवार को जब अजय पेश नहीं हुए तो जस्टिस आनंद सेन ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया. कोर्ट ने डीजीपी को शाम चार बजे तक उन्हें पेश करने का आदेश दिया. शाम चार बजे फिर सुनवाई हुई. इसमें अजय वर्चुअल रूप से पेश हुए. बताया कि वे राज्य से बाहर हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि रांची कब आ रहे हैं. उन्होंने रात 8:30 बजे तक रांची पहुंचने की बात कही. इस पर कोर्ट ने उन्हें रात नौ बजे पेश होने का आदेश दिया. रात नौ बजे कोर्ट फिर बैठा. अजय कुमार सिंह एयरपोर्ट से सीधे कोर्ट पहुँचे. उन्होंने बताया कि आदेश का अनुपालन कर लिया गया है. कोर्ट ने अनुपालन की जानकारी न देने पर उन्हें फटकारा. फिर वारंट रद्द कराने के लिए रजिस्ट्रार जनरल के पास पर्सनल बॉन्ड जमा करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन, अपर महाधिवक्ता अच्युत केशव, अधिवक्ता शुभम गौतम व संकेत खन्ना ने पैरवी की.
जमानती वारंट जारी होने के बाद सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अपर मुख्य सचिव पांच से सात फरवरी तक अवकाश पर हैं. इसके लिए उन्होंने 31 जनवरी को आवेदन दिया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि आदेश से अवगत होने के बावजूद उन्होंने सात फरवरी तक अवकाश लिया. अवकाश का कारण भी नहीं बताया. यह उल्लेख भी नहीं किया कि वे रांची में रहेंगे या बाहर. यह मामला उनके खिलाफ अवमानना का आरोप तय करने के लिए सूचीबद्ध है. उन्होंने ऑनलाइन प्रेश होने की बात भी नहीं बताई. यह कोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन है. प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि वे कोर्ट के आदेश से खिलवाड़ कर रहे हैं. इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. क्योंकि कोर्ट का आदेश सर्वोच्च होता है.
सिविल सर्जन रहते गड़बड़ी का लगा था आरोप
हजारीबाग के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. दीनानाथ पांडे पर सामान की आपूर्ति का सुपरविजन सही ढंग से नहीं करने को लेकर राज्य सरकार ने तीन साल तक उनकी पेंशन से 20 फीसदी राशि काटने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने पूर्व में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि अगली सुनवाई तक कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए प्रार्थी को उसके पेंशन से काटी गई राशि का भुगतान करें, अन्यथा स्वास्थ्य सचिव कोर्ट में पेश हों.