Veer Vast (AKJ)
Ranchi: आज यानी 10 सितंबर के ठीक 20 दिनों के बाद झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी रिटायर हो रही हैं. तीस सितंबर को उनका बतौर सीएस कार्यकाल का आखिरी दिन होगा. ऐसे में ब्यूरोक्रेसी के अलावा राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो गयी है कि सूबे का दूसरा सीएस कौन होगा? हालांकि मुख्य सचिव बनने के लिए चार आईएएस अधिकारी प्रभावी रूप से दावेदार हैं. इनमें से दो फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. इनमें निधी खरे और शैलेश सिंह शामिल हैं. शैलेश सिंह 30/03/2026 को और निधी खरे 28/02/2028 को रिटायर हो रहे हैं. बाकी झारखंड में कार्यरत अजय कुमार और वंदना डाडेल का भी नाम सीएस के लिए सामने आ जाए तो अचरच की बात नहीं होगी. लेकिन इन सबों के बीच जो सबसे प्रबल दावेदार जो हैं, वो हैं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अविनाश कुमार. जिनकी गिनती अभी झारखंड के सबसे पवरफुल अधिकारियों में होती है. इस मामले पर राजनीति से जुड़े लोगों के अलावा कई ब्यूरोक्रेस्ट से भी बात हुई. सभी इस कन्फ्यूजन में हैं कि अविनाश कुमार सीएस बनेंगे या नहीं. या फिर कोई ऐसा रास्ता तलाशा जाएगा, जिससे पावर भी हाथ में रहे और सत्ता की पूरी बागडोर भी. समीकरण तमाम हैं. फिलहाल कयासों का दौर जारी है.
First Option- अलका तिवारी को मिल जाए एक्सटेंशन
पावर भी हाथ में रहे और सत्ता की पूरी बागडोर भी. इसके लिए सबसे माकूल तरीका यह होगा कि अलका तिवारी को बतौर सीएस एक्सटेंशन मिल जाए. इससे फिलहाल जो राजनीतिक और ब्यूरोक्रेट समीकरण झारखंड में बना हुआ है, वो बना रहेगा. अविनाश कुमार सीएमओ में ऐसे ही एक्टिव रह पाएंगे, जैसे फिलहाल हैं. किसी तरह का कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा. इतना हो सकता है कि चुनिंदा विभागों के सचिवों का तबादला हो जाए.
Second Option: निधी खरे या शैलेश सिंह झारखंड के मुख्य सचिव हो जाए
इसे सेकेंड ऑपशन तो कह सकते हैं, लेकिन ऐसा होना, ना होने के बराबर ही है. दरअसल निधी खरे का झारखंड से भोग भंग उसी वक्त हो गया था, जब उनके पति और सीनियर आईएएस रिटायर अमित खरे को झारखंड का सीएस नहीं बनाया गया था. ऐसा होने के बाद अमित खरे दिल्ली चले गए और कई विभागों के सचिव का पदभार संभालने के बाद रिटायर हो गए. अभी वो पीएमओ की सलाहकार समिति में कार्यरत हैं. निधी खरे भी केंद्र सरकार के प्रमुख विभागों में से एक खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव का प्रभार निभा रही हैं. झारखंड की फिलहाल की राजनीति से उनका सरोकार शायद ही किसी से छिपा है. अगर शैलेश सिंह पर झारखंड सरकार भरोसा जताती है, तो भी कई तरह की दुश्वारियां दिख रही हैं. इसलिए इस ऑपशन से निःसंदेह दूरी बनायी जाएगी.
Third Option: अजय कुमार या वंदना डाडेल को मिले कमान, बाकी निगाहबंदी अविनाश कुमार की
कई लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव अजय कुमार या फिर गृह विभाग की सचिव वंदना डाडेल (वंदना डाडेल एक जनवरी से एसीएस रैंक में प्रन्नोत हो जाएंगी) को सीएस का जिम्मा देने की कोशिश हो सकती है. ऐसा करने से झारखंड की मौजूदा राजनीतिक स्थिति कायम रहेगी और बहुत ज्यादा फेरबदल की जरूरत भी नहीं होगी. अगर वंदना डाडेल या अजय कुमार सीएस बनते हैं तो सीएमओ का आबो-हवा ऐसी ही रहेगी, जैसी फिलहाल है. आसान भाषा में इसे All situation will be in control कह सकते हैं.
Fourth Option: दो साल किसी तरह समय निकले, बाद में अविनाश की हो सीएस ऑफिस में इंट्री, लग सकती है इनमें से किसी दो आईएएस की लॉटरी
चौथे ऑपशन पर सरकार और उनके सिपहसलार काफी मजबूती से काम कर रहे हैं. इस ऑपशन में शर्त सिर्फ इस बात की है कि किसी भी तरह दो साल तक सीएस का पद किसी ऐसे को देकर टाला जा सके, जिससे सांप भी मरे और लाठी भी ना टूटे. अब ऐसे में सीएस की कुर्सी पर कौन रहेगा, यह मेगा माइंड कहलाने वाले कुमार साहब ही डीसाइड कर सकते हैं. अभी अविनाश कुमार को रिटायर होने में चार साल हैं. इससे भी जरूरी बात यह है कि मौजूदा सरकार का कार्यकाल भी चार सालों का है. ऐसे में अविनाश कुमार के पास काफी समय है, वो पहला दो साल पावर मशल्स बनकर सीएमओ में कायम रह सकेंगे और फिर आराम से दो साल तक सीएस की कुर्सी पर काबिज रह सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो झारखंड के दो आईएएस जो फिलहाल सरकार के काफी करीबी हैं, उनकी लॉटरी लग सकती है. इनमें पहला नाम झारखंड के प्रमुख विभागों का जिम्मा संभाल रहे अरवाराज कमल का या फिर मौजूदा रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री का है. दोनों की नजदीकी फिलहाल झारखंड सरकार से कैसी है, इस बात को ध्यान में रखकर ऐसा कहा जा रहा है. दोनों में से कोई एक आने वाले दिनों में सीएमओ का कामकाज संभाल सकते हैं.