Ranchi/Bokaro: yesjharkhand.com की खबर का असर हुआ है. सालों से नींद में सोया जल संसाधन विभाग जागा है. इस मामले से पहले कोल इंडिया से राजस्व वसूली को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच काफी बयानबाजी हुई है. सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन के तेवर तल्ख है. कई बार पब्लिक सभाओं के बीच हेमंत ने साफ तौर से कहा है कि अगर राशि केंद्र की तरफ से नहीं दी जाती है तो कोयला के खनन पर ही रोक लगा देंगे. अब वैसा ही मामला एक बार फिर से सामने आ गया है. बीएसएल (बोकारो स्टील लिमिटेड) केंद्र सरकार की एक ईकाई है. जिसपर राज्य सरकार का करीब 900 करोड़ सिर्फ जलकर बकाया है.
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विभाग ने कार्यपालक अभियंता से कहा- करें राजस्व की गणना
खबर लिखे जाने के बाद जल संसाधन विभाग रेस है. विभाग की तरफ से तेनुघाट बांध प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता रंजीत कुजूर से कहा गया है कि अभी तक गरगा डैम से बीएसएल ने कितना पानी लिया है, उसकी गणना की जाए. जितने पानी का इस्तेमाल बीएसएल ने किया है उसका राजस्व कितना हुआ, उसकी गणना कर विभाग को जल्द से जल्द भेजा जाए.
कोर्ट से भी लगा बीएसएल को झटका
2011 में तत्कालीन डीसी डॉ. अमिताभ कौशल की सख्ती के बाद बीएसएल ने कोर्ट का रुख किया था. लेकिन वहां से भी उसे झटका लगा. कई बार इस मामले में सुनवाई हुई, लेकिन बीएसएल की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ. 2015 से लेकर 2024 तक मामला उच्च न्यायालय में चला. इसके बाद न्यायालय ने विभाग को नियामानुकूल कार्रवाई करने का आदेश देते हुए मामले को समाप्त कर दिया. बता दें कि जल संसाधन विभाग ने 2015 तक लगभग 416 करोड़ रुपये के राजस्व बकाया का दावा किया था. तब से लेकर अब-तक के जलकर एवं बकाया राजस्व के ब्याज को वसूल करने के लिए विभागीय स्तर पर पत्राचार चल रहा है. बताया जा रहा है कि यह बकाया अब करीब 900 करोड़ पहुंच चुका है.
क्या कहा कार्यपालक अभियंता ने
तेनुघाट बांध प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता रंजीत कुजूर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि 2015 तक गरगा डैम से जल के उपभोग को लेकर 416 करोड़ की राशि जल संसाधन विभाग को बोकारो स्टील से लेना था. यह मामला न्यायालय में चल रहा था. न्यायालय ने विभाग को नियमानुकूल कार्रवाई का आदेश दिया है. इधर इस मामले में राज्य मुख्यालय ने अब तक के राजस्व की गणना करने का निर्देश दिया गया है. राशि की गणना एवं डैम की वर्तमान स्थिति का आकलन किया जा रहा है.