New Delhi: जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस बन गए हैं. बुधवार को उन्होंने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध सीजेआई हैं. आजादी के बाद वह देश में दलित समुदाय से दूसरे सीजेआई हैं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल छह महीने का होगा. उन्होंने जब पद की शपथ ली तो इस ऐतिहासिक पद के साक्षी पीएम मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर , जेपी नड्डा समेत तमाम गणमान्य अतिथि बने.

 

जस्टिस वीआर गवई के मुख्य फैसलों की बात करें तो उनमें बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ तोड़फोड़, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखना, डिमोनेटाइजेशन को बरकरार रखना, अनुसूचित जाति कोटे में उप-वर्गीकरण को बरकरार रखना, शराब नीति में के कविता को जमानत देना, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की दो बार आलोचना करना शामिल हैं.

बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ फैसला लिखते समय, उन्होंने आश्रय के अधिकार के महत्व पर जोर दिया था. उन्होंने मनमाने ढंग से तोड़फोड़ की निंदा करते हुए कहा था कि इस तरह की कार्रवाई प्राकृतिक न्याय और कानून के शासन के सिद्धांतों के खिलाफ है. अपने फैसले में उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि कार्यपालिका, जज, जूरी और जल्लाद की भूमिका नहीं निभा सकती.

उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उन विवादास्पद आदेशों की भी आलोचना की थी, जिसमें मामूली आरोपों पर रेप और रेप की कोशिश को कमतर आंकने और कथित रेप मामले में पीड़िता को लेकर शर्मसार करने वाली टिप्पणियों को शामिल किया गया था.

वह दलित समुदाय से देश के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले दूसरे शख्स होंगे. साल 2007 में पूर्व सीजेआई केजी बालाकृष्णन पहले दलित सीजेआई बने थे. वह 3 साल तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे. जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने होगा. यानी कि वह 23 नवंबर तक इस पद पर रहेंगे.

जस्टिस बीआर गवई ने तीन दिन पहले मीडिया के साथ कई मुद्दों पर अनौपचारिक बातचीत की थी. उस दौरान उन्होंने कहा था कि वह बौद्ध धर्म का पालन करते हैं. उनका सौभाग्य है कि बुद्ध पूर्णिमा के तत्काल बाद ही वह चीफ जस्टिस पद की शपथ लेगे.  बाबा साहेब आंबेडकर के साथ ही उनके पिता ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था. वह देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस बनेंगे.

 

Share.

Leave A Reply

Exit mobile version