New Delhi: आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा है कि भारत के आयात शुल्क वैश्विक व्यापार नियमों के अनुरूप हैं और सरकार को अमेरिकी प्रशासन को इसकी जानकारी देनी चाहिए. जीटीआरआई ने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत काफी चुनौतीपूर्ण है.

जीटीआरआई ने कहा कि अमेरिका, भारत पर अमेरिकी कंपनियों के लिए सरकारी खरीद खोलने, कृषि सब्सिडी कम करने, पेटेंट सुरक्षा को कमजोर करने और डेटा प्रवाह से अंकुश हटाने का दबाव डाल सकता है. शोध संस्थान ने कहा कि भारत ने दशकों से इन मांगों का विरोध किया है और अब भी इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर आरोप लगाया है कि भारत में शुल्क काफी ऊंचा है. ट्रंप भारत को ‘टैरिफ किंग’ और ‘टैरिफ एब्यूजर’ कह चुके हैं. शुल्क सरकार द्वारा लगाया आयात शुल्क है, जिसे सरकार जुटाती है. कंपनियां विदेशी सामान देश में लाने के लिए इसका भुगतान करती हैं.

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “भारत के शुल्क विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप हैं. ये डब्ल्यूटीओ में जताई गई एकल प्रतिबद्धता का परिणाम हैं जिसे 1995 में अमेरिका सहित सभी देशों ने मंजूरी दी थी. भारतीय शुल्क डब्ल्यूटीओ के अनुरूप हैं. भारतीय पक्ष को अमेरिका को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है.”

यह 166 सदस्यों वाला एकमात्र अंतरराष्ट्रीय मंच है, जो विभिन्न देशों के बीच व्यापार नियमों को देखता है. 1995 में जब डब्ल्यूटीओ की स्थापना हुई थी, तब विकसित राष्ट्र बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स), सेवा व्यापार उदारीकरण और कृषि नियमों पर प्रतिबद्धताओं के बदले में विकासशील देशों के उच्च शुल्क बनाए रखने पर सहमत हुए थे.

उन्होंने कहा कि कई विकासशील देशों का तर्क है कि ट्रिप्स और कृषि के तहत की गई प्रतिबद्धताओं ने विकसित देशों को फायदा पहुंचाया है, जिससे उनकी औद्योगिकीकरण की क्षमता सीमित हो गई है. उन्होंने कहा, “भारत पर ऊंचे शुल्क की बात करते समय ट्रंप इसे आसानी से भूल गए हैं.”

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