Ranchi: उत्पाद विभाग की जैसी तैयारी चल रही है, जाहिर तौर पर जून से राज्य में नयी शराब नीति लागू हो जाएगी. दूसरी तरफ से 2024-25 वित्त वर्ष का टारगेट विभाग ने करीब 15 दिन शेष रहते ही पूरा कर लिया था. 2700 करोड़ का टारगेट था. लेकिन विभाग का दावा है कि इससे ज्यादा राजस्व की वसूली हो चुकी है. आने वाले नए वित्त वर्ष के लिए टरगेट को और बढ़ाए जने पर विभग काम कर रहा है. लेकिन इस बात से सभी बेखबर हैं कि नयी शराब नीति लागू होने से पहले ही उत्पाद विभाग को राज्सव को लेकर बड़ा झटका लगने वाला है. नयी शराब नीति लागू होने से पहले प्लेसमेंट एजेंसी से विभाग शराब बिक्री का हिसाब लेगा जो काफी शॉट होने वाला है. यहां तक कि कई दुकनों के हिसाब अभी से नहीं मिल रहे हैं. इसकी वजह शराब दुकान में काम करने वाल कर्मियों को वेतन भुगतन नहीं किया जाना है.

सात जिलों में 2024 जून से ही नहीं मिला है वेतन, राजधानी रांची भी पेमेंटलेस

किसी और सरकारी विभाग में अगर दो हीना सैलेरी देर हो जाए तो नौबत हाय-तौबा की हो जाती है. लेकिन यहां सोचने वाली बात है कि झरखंड के सात ऐसे जिले हैं, जहां पिछले साल जून में ही वेतन का भुगतान हुआ था. इन जिलों में हजारीबाग, कोडरमा, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, खूंटी और चतरा जैसे जिले शामिल हैं. करीब साल होने को है, कर्मी रोज दुकान खोल रहे हैं, शराब की बिक्री कर रहे हैं, लेकिन इन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है. वहीं सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला रांची जिले का भी यही हाल है. यहां के शराब बेचने वाले कर्मियों को करीब पांच महीने से वेतन नहीं मिला है. कमोबेश हर जिले की यही स्थिति है.

ऐसे होने वाला है विभाग को राजस्व का नुकसान

शराब बेचने वाले कर्मी यह अच्छी तरह से जान रहे हैं कि जून से नयी शराब नीति लागू होने वाली है. लेकिन इन्हें वेतन मिलेगा या नहीं, इस बात पर शंसय  है. ऐसे में दुकान में काम करने वाले कर्मी की नजर बिकी हुई शराब के पैसे पर है. सारा हिसाब-किताब इन्हीं के पास रहता है. कैश पर पूरी तरह से कब्जा कर्मियों का ही रहता है. अगर विभाग की तरफ से वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो कर्मी जहिर तौर पर सेलिंग की राशि का गबन करना शुरू कर देंगे. कई दुकानों में यह काम कर्मियों ने शुरू भी कर दिया है. हिसाब में काफी शॉटेज देखा जा रहा है. लिहाजा आने वाले दिनों में करोड़ों का चूना विभाग को लगने वाला है, और इसका पूरा जिम्मेदार विभाग खुद ही है.

ओवर प्राइसिंग की भी वजह वेतन का भुगतान न होना

झारखंड में शहरी इलाकों को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में शराब प्रिंट रेट से ऊपर की कीमत पर बेची जा रही है. कोडरमा जैसे जिलों में शरब दुकान के कर्मी साफ तौर पर कहते हैं कि ऊपर तक कमीशन देना पड़ता है, इसलिए हर हाल में प्रिंट रेट से ज्यदा देकर ही शराब खरीदना होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि शराब दुकान में काम करने वालों के जेब खाली हैं. आखिर जब वो सुबह से लेकर रात तक शराब दुकान में अपना समय देंगे, तो जीवनयापन करने के लिए पैसे कहां से लाएंगे. इसलिए लाख सख्ती के बावजूद झारखंड में ओवर प्राइसिंग पर नकेल विभाग नहीं कस पाया है.

Share.

Leave A Reply

Exit mobile version